Chipte Chipate Aa Gai Re Banna Teri Nagariya/छिपते छिपाते आ गई रे बन्ना तेरी नगरिया।
Kartik Maas Mahatmaya Satwan Adhyay/कार्तिक मास महात्म्य सातवां अध्याय
इस प्रकार विभिन्न व्रतों का परिचय पाने के बाद राजा पृथु ने कहा–हे नारद जी! आपके द्वारा विभिन्न व्रतों का परिचय पाकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। अब आप कृपा करके कार्तिक मास के किसी एक प्रमुख व्रत के विषय में मुझे बताएं। नारद जी कहने लगे कि हे राजन्! लोकहित में तुमने यह बड़ा ही सुन्दर प्रश्न किया है। सुनो, मैं तुम्हे कार्तिक मास में परम पवित्र तक्त व्रत की कथा सुनाता हूं। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों को अवश्य करना चाहिए। व्रत करने का जो विधि–विधान मुझे ब्रह्मा जी ने बताया था वही मैं तुमसे कहता हूं। अतः तुम उसे ध्यानपुर्वक सुनो–आश्विन मास की पूर्णिमा को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़ देना चाहिए उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान करना चाहिए। किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करें तो बहुत उत्तम है, यदि ऐसी व्यवस्था ना हो सके तो घर पर ही स्नान करें।
व्रती को व्रत से एक दिन पहले सिर नहीं धोना चाहिए। स्नान के बाद सुन्दर वस्त्र और आभूषण धारण करें। ईश्वर का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें और इस प्रकार से प्रार्थना करें कि हे जगतपति! आप कृपा करके मेरे समस्त कुल की रक्षा कीजिए। मेरे पति ( यदि स्त्री करे तो) अथवा मेरी पत्नी ( यदि पुरुष करे तो) तथा बच्चों की रक्षा कीजिए। उसके पश्चात् भगवान सूर्य को प्रणाम करें। व्रत करने वाले को दिन के समय भोजन नहीं करना चाहिए और ना ही जल ग्रहण करना चाहिए। पूरा दिन भजन और पूजन में ही लगाना चाहिए।
हे राजन्! सायंकाल में चांदी के पात्र में दूध डालकर ब्रह्मा जी का पूजन करना चाहिए। ब्रह्मा जी की सोने, चांदी, तांबा अथवा मिट्टी की मूर्ति बनानी चाहिए। उसके बाद मूर्ति को लाल वस्त्र पहनाएं और विधि पूर्वक पूजा करें। चांदी के पात्र में रखे दूध को सोने की मथनी से मथें और प्रार्थना करें कि हे ब्रह्मा जी! आप कृपा करके मेरे पति/पत्नी, और बच्चों की रक्षा करें, उन्हें धन–धान्य से युक्त और चिरंजीवी करें। नित्य प्रति पंचदेवों का पूजन करें उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। परिवार के वृद्ध परिजनों को स्वादिष्ट भोजन खिलाकर तृप्त करें। उसके पश्चात् संध्या होने पर स्वयं तारों के दर्शन करने के बाद भोजन करें।
हे राजन्! आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी को किया गया यह व्रत ब्रह्मा जी का तक्त व्रत कहलाता है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है। व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्ञानी जन इस व्रत के फलस्वारूप मुक्ति प्राप्त करते हैं। ब्रह्मा जी के सम्मुख इस दिन कपूर प्रज्ज्वलित करने से साधक को वृक्षदान और गौदान का फल मिलता है। जो साधक ब्रह्मा जी को केसर–कस्तूरी सहित कपूर चढ़ाता है उसकी कई पीढ़ियां ब्रह्मलोक को प्राप्त होती हैं। जो श्रद्धालु महिला इस दिन वस्त्रदान करती है वह जन्म–जन्मांतर तक बैकुंठ में वास करती है। आभूषण दान करने पर ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।