Putradaa Ekadashi Vrat Katha In Hindi पुत्रदा एकादशी व्रत कथा हिंदी में


पुत्रदा एकादशी:

पुत्रदा एकादशी सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है।  इस दिन भगवान विष्णु के नाम पर व्रत रखकर पूजा की जाती है।  उसके बाद वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।  सारा दिन भगवान का भजन कीर्तन करते हुए रात में भगवान की मूर्ति के पास ही सोना चाहिए।  इस व्रत को करने से जिनके संतान नहीं होती है उन्हे पुत्र की प्राप्ति होती है।

पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा:
एक समय की बात है, माहिष्मती नामक नगर में एक महीजीत नाम का राजा राज्य करता था।  वह बहुत ही दानी और धर्मात्मा था।  परंतु उसके कोई भी संतान नहीं थी।  यही कारण था कि वह बहुत दुःखी रहता था।  और अपने राज्य का कार्य भी ठीक से नहीं कर पाता था।  एक दिन राजा ने अपने राज्य के सारे महात्माओं को और ऋषियों को दरबार में बुलाया।  सबके आ जाने पर राजा ने उनसे संतान कैसे प्राप्त हो इसके लिए उपाय बताने को कहा।  इस बात पर परम पूज्य ऋषि लोमश ऋषि ने बताया कि आपने अपने पिछले जनम में सावन मास की एकादशी को अपने तालाब में से एक प्यासी गाय को पानी पीने नहीं दिया था।  आपने उसे पानी पीते से तालाब से हटा दिया था, उसके श्राप के कारण आपके कोई संतान नहीं हुई है।  
राजा ने ऋषियों से उसका उपाय बताने को कहा तो ऋषि ने कहा कि पुत्र प्राप्ति हेतु आपको सावन मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत नियम से करना होगा।  यदि आप नियमपूर्वक पुत्रदा एकादशी व्रत को करेंगे तो आपको अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।  राजा के विधि पूछने पर ऋषि ने कहा कि आप भगवान विष्णु का नाम लेकर इस व्रत को राखिए और फिर ब्राह्मणों को दान दे कर भोजन कराएं और रात्रि जागरण करें इससे आपको अवश्य पुत्र प्राप्त होगा।  ऋषि के कहे अनुसार राजा ने एकादशी व्रत को नियमपूर्वक किया जिससे राजा को पुत्र प्राप्ति हुई।
सभी को यह व्रत नियमपूर्वक करना चाहिए। यह पुत्र प्राप्ति का सबसे अच्छा व्रत है।  सभी लोग प्रेम से बोलिए जय श्री हरी विष्णु जी जय,🙏
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