यमदूत कहने लगे कि हे वैश्य! एक बार भी गंगा जी में स्नान करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर शुद्ध हो जाता है। जो मनुष्य गंगा जी को दूसरे तीर्थों के समान समझता है वह मनुष्य अवश्य नर्क में जाता है। भगवान के चरणों से उत्पन्न हुई गंगा जी के पवित्र जल को शिव जी ने अपने मस्तक पर धारण किया है। वह ब्रह्मा जी संदेह रहित प्रकृति से अलग और निर्गुण हैं ब्रह्माण्ड में उसकी समानता किससे हो सकती है। गंगा जी का नाम लेनेवाला मनुष्य कभी नर्क में नहीं जाता, इसीलिए मनुष्य को अवश्य ही गंगा जी में स्नान करना चाहिए। आगे यमदूत ने कहा कि हे वैश्य! जो ब्राह्मण दान लेने का अधिकारी होकर भी दान नहीं लेता वह आकाश के नक्षत्रों में चन्द्रमा के समान है। जो मनुष्य गौ को कीचड़ से निकालता है, जो रोगियों की रक्षा करता है वह आकाश में तारा होता है।
प्राणायाम करने वाले मनुष्य सदैव उत्तम गति को प्राप्त होते हैं। प्रातःकाल स्नान करने के बाद जो सोलह प्राणायाम करते हैं वह घोर पापों से बच जाते हैं। जो पराई स्त्री को माता के समान मानते हैं वह मनुष्य यम की यातना को नहीं भोगते हैं। जो मनुष्य मन से भी कभी पर–स्त्री का चिन्तन नहीं करता है वह दोनों लोकों को अपने आधीन कर लेता है। जो पराए धन को मिट्टी के समान समझता है वह स्वर्ग में जाता है। जिस मनुष्य ने क्रोध को जीत लिया उसने मानों स्वर्ग को ही जीत लिया है।
जो माता–पिता की सेवा देवता तुल्य करता है वह कभी भी यमद्वार नहीं देखता है। जो मनुष्य गुरु की सेवा करते हैं वे ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं। शील की रक्षा करने वाली स्त्री धन्य है। शील भंग करने वाली स्त्री यमलोक को जाती है। जो लोग वेदों और शास्त्रों को पढ़ते हैं या पुराण एवं संहिता पढ़ते और सुनते हैं, तथा जो वेदान्त में लीन रहते हैं वह मनुष्य पापरहित होकर ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं। जो अज्ञानियों को वेदशास्त्र का ज्ञान देते हैं वे मनुष्य देवताओं से भी पूजित होते हैं।
यमदूत ने कहा कि हे विकुंडल! यमराज ने हमको वही आज्ञा दे रखी है कि तुम किसी वैष्णव को मेरे पास मत लाना। हे वैश्य! पापी लोगों को इस संसार रूपी नर्क को पार करने के लिए भगवान की भक्ति के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। भगवान की भक्ति ना करने वाले लोगों को चांडाल के समान समझना चाहिए। भगवान के भक्त अपने माता–पिता दोनों के कुलों को तार देते हैं उन्हें कभी भी नर्क में नहीं रहने देते। जो मनुष्य वैष्णव का भोजन करते हैं वे भी भगवान की कृपा से श्रेष्ठ गति को प्राप्त होते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को सदैव वैष्णव का अन्न खाना चाहिए। इससे बुद्धि पवित्र हो जाती है और मनुष्य पाप नहीं करता है।
जो मनुष्य गोविंदाय नमः मंत्र का जाप करता हुआ मृत्यु को प्राप्त होता है वह परम धाम को प्राप्त होता है। जो मनुष्य ॐ नमः भगवते वासुदेवाय: मनमोनारायण, इस द्वादशाक्षर मंत्र का जाप करता है उसके ब्रह्म इत्यादि बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं।